1)एसोसिएशन का नाम :
भारतीय बंजारा समाज कर्मचारी सेवा संस्थान
2) कार्यालय का पता:
C/o सुभाष धनसिंग राठौड़,
3/4, एमएसईबी कॉलोनी, कार्णिक रोड,
कल्याण (पश्चिम) 421301 (ठाणे जिला)
3) लक्ष्य एवं उद्देश्य :
1) सदस्यों के हितों की रक्षा करना। उन्हें उनके अधिकार दिलाने में
हर
कानूनी सहायता प्रदान करना। उसी प्रकार उन्हें संकट से बाहर
निकालने
में मदद करना भी सामाजिक दायित्व समझकर किया जा रहा है।
2) सदस्यों के परिवार को संकट की घड़ी में सहानुभूतिपूर्वक हर
सहायता
प्रदान करना और यदि आवश्यक हो तो कानूनी सलाह देना।
3) गरीब वर्ग के लिए शैक्षिक सुविधाओं और वित्तीय सहायता की
व्यवस्था
करना और इस वर्ग के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाना।
नर्सरी, स्कूल, छात्रावास, आदि।
4) मेधावी और उत्कृष्ट तथा उत्कृष्ट छात्रों को शैक्षिक मार्गदर्शन
और
कोचिंग प्रदान करना और उनकी पढ़ाई पूरी होने तक उन्हें अस्थायी
आवास
प्रदान करना। पुस्तकालय चलाना तथा प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था
करना।
5) बंजारा समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए संघर्ष करना। धार्मिक
त्यौहार मनाना। हमारे महान नेताओं और नायकों की वर्षगांठ के
समारोहों
और मिलन समारोहों, युवा उत्सवों और सामाजिक जागरूकता कार्यक्रमों
की
व्यवस्था करके सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना।
6) राष्ट्रीय हित के लिए संघर्ष करना और अपनी विभिन्न योजनाओं को
लागू
करने में हमारे देश के हित में सरकार को हर सहायता सुनिश्चित
करना।
परिवार नियोजन, साक्षरता अभियान, दहेज विरोधी अभियान, लैंगिक
समानता,
बाल विवाह प्रणाली को हतोत्साहित करना, व्यसन विरोधी अभियान आदि।
7) व्यायामशाला चलाना, स्वास्थ्य प्रतियोगिताओं का आयोजन करना और
खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों में भाग लेने के लिए
तैयार
करना।
8) हस्तशिल्प, सिलाई, गृह उद्योग आदि जैसे वंचित वर्ग के लिए
रोजगार
पैदा करने वाले कारणों की व्यवस्था करना।
9) वंचित वर्ग के लिए चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने और मानव सेवा के
लिए
केंद्र स्थापित करना। तथा विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता के
व्याख्यानों की व्यवस्था करना।
10) समुदाय को मुख्य धारा में लाने और दुनिया में नवीनतम विकास के
साथ
उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से पुस्तकालय, सांस्कृतिक केंद्र
चलाना, किताबें छापना और निबंध प्रतियोगिताओं, लेखन प्रतियोगिताओं
की
व्यवस्था करना।
11) सेवा संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली सामाजिक सेवाओं को
राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्यों से गठित एक अलग संपादकीय बोर्ड
द्वारा आवधिक मुद्दों के माध्यम से प्रकाशित किया जाएगा।
12) बंजारा समाज के सभी व्यक्तियों को एकजुट रखने और बंजारा महिला
सेवा
संस्थान आदि जैसे विभिन्न मोर्चों का गठन करने और उसके लिए
पदाधिकारियों की नियुक्ति करने के लिए संबंधित स्तरों पर कार्य
समितियों को अधिकृत किया गया है।
13) सेवा संस्थान बंजारा समाज के उन लोगों के लिए काम करेगा जो
अपने
सभी विकास के लिए देश से बाहर रह रहे हैं।
‘’ भारतीय बंजारा समाज कर्मचारी सेवा संस्था’’ इस संस्था के
नियम
और नियमावली के अनुसार कार्यकारी मंडल पर इस संस्था की
व्यवस्था
और कारोबार का उत्तरदायित्व सौंपा गया है, इस राष्ट्रीय
कार्यकारिणी के सभासदों का पूरा नाम, पता, हुद्दा, आयु,
व्यवसाय
और राष्ट्रीयत्व निम्नलिखित अनुसार दर्शाया गया
है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी
क्र.सं.
सभासद के नाम
पूरा पता
पद
आयु
व्यवसाय
राष्ट्रीयता
1.
दिगंबर रा. राठोड
15/4 वैद्यकीय महाविद्यालय कॉटर, ऑबेजोगाई जि.
विड.
राष्ट्रीय अध्यक्ष
45
नौकरी
भारतीय
2.
श्री. बल्ली परसराम राठोड
बिल्डिंग 3/सी विंग ए-2/7 न्यू एजेठा अव्हेन्यू
पोड रोड, कायेरूड पुणे 21
राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष
45
नौकरी
भारतीय
3.
श्री. गोविंद जेमला राठोड
शिवदर्शन बंगला, शिव मंदिर रोड, अंबरनाथ, जि. ठाणे
(महा.)
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
42
नौकरी
भारतीय
4.
श्री. हिरा ग. पवार
7/3, गोमती, अब्दुल गफ्फार रोड, सी-फेस, वरल्ली,
मुंबई
राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष
40
नौकरी
भारतीय
5.
श्री. सुभाष ध. राठोड
¾, मराविम वसाहत, कर्णिक रोड. कल्याण (प.), जि.
ठाणे – 421301
राष्ट्रीय महासचिव
40
नौकरी
भारतीय
6.
श्री. राजाराम गो. जाधव
वाय-6/83, सरकारी वसाहत बांद्रा (पूर्व), मुम्बई
51
राष्ट्रीय संघटन सचिव
45
नौकरी
भारतीय
7.
श्री साईदास भिसू राठोड
अरुणोदय को. हौ. सोसा. मंगलराबो नगर, तिसगांव रोड,
कल्याण (पूर्व) जि. ठाणे – 421306
राष्ट्रीय सचिव
40
नौकरी
भारतीय
8.
श्री. वसंत रामदास चव्हाण
डी. 523, हिलगार्डन, गुलमोहर सोसा, टिकुजिनीवाडी
समोर, ठाणे (प.)
राष्ट्रीय सचिव
35
नौकरी
भारतीय
9.
श्री. उदय के. राठोड
वर्षा अर्पाटमेंट, बि. विंग, 3रा माल्ला विजय नगर
रिक्षा स्टॅड जवल्ल, कल्याण, (पूर्व) जि. ठाणे
– 421306
राष्ट्रीय अध्यक्ष
38
नौकरी
भारतीय
संलग्नक ‘‘क’’
‘‘भारतीय बंजारा समाज कर्मचारी सेवा संस्था‘’ नियम और शर्तें
1. नियम एवं/विनियम के संदर्भीय शब्दों की व्याख्या :-
1.(क) संस्था :- भारतीय बंजारा समाज कर्मचारी सेवा संस्था
यह नाम संविधान ‘‘संस्था’’ में जहाँ-जहाँ उल्लेख होगा वहाँ उसका
अर्थ भारतीय बंजारा समाज कर्मचारी सेवा संस्था समझा जायेगा।
1. (ख) समाज :- संविधान में जहाँ-जहाँ ‘‘समाज’’ करके
उल्लेख होगा उसका अर्थ बंजारा समाज के अलग-अलग वर्ग, जाति, उपजाति
धर्म और सम्प्रदायों के घटकों का समझा जायेगा।
1.(ग) कर्मचारी :- संविधान में जहाँ-जहाँ कर्मचारी शब्द
का उल्लेख होगा वहाँ संपूर्ण देश के शासकीय, अर्धशासकीय और दूसरे
क्षेत्रों में सेवा कर रहे संविधान नियम क्र. 1(ख) में अंतर्भूत
किए गए स्त्री और पुरुष का समावेश समझा जायेगा।
2. संस्था का कार्यक्षेत्र :- संस्था का कार्यक्षेत्र
अखंड भारत देश रहेगा।
3. लेख – वर्ष :-
संस्था का लेख वर्ष प्रत्येक वर्ष, को 1 लो अप्रैल 31 मार्च तक
होगा।
4. सदस्यता :- संस्था के नियम और शर्त मान्य करने वाले
और कोई भी राजकीय पक्ष से संबंध न रखने वाले, नियम क्र.-1(ख) और
(ग) में अंतर्भूत किए गए 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले स्त्री और
पुरुष कर्मचारी संस्था के सदस्य बन सकते हैं।
4-(क) सदस्यता शुल्क :- संस्था की सदस्यता प्राप्त
करने के लिए रुपये 11/- (ग्यारह रुपये मात्र) प्रवेश शुल्क भरना
अनिवार्य होगा
4-(ख) सदस्यता के प्रकार :- संस्था की सदस्यता
निम्नलिखित तीन प्रकार की होगी
4-(ख) 1 आजीवन सदस्य :- संविधान में नियम क्र. 1(ख) और (ग)
में अंतर्भूत किए गये कोई भी कर्मचारी सदस्यता शुल्क रु.1000
(शब्दों में एक हजार रुपये केवल) भरकर आजीवन सदस्यता प्राप्त कर
सकते हैं।
4-(ख) 2 सामान्य सभासद :- संविधान के नियम क्र. 1 (ख) और
(ग) में अंतर्भूत किए गए कोई भी कर्मचारी संस्था के सामान्य
सभासद बन सकते हैं। रकम रुपये 100/- (शब्दों में अक्षरी सौ रुपये
केवल) इस सदस्यता की मर्यादा एक वर्ष साल तक सीमित रहेगी।
4-(ख) 3 अस्थायी सभासद :- जिस सदस्य द्वारा वार्षिक
शुल्क भरा नहीं जायेगा उन सदस्यों को अस्थायी सदस्य करके
संबोधित किया जायेगा। अस्थायी सदस्यों को किसी भी प्रकार का
अधिकार नहीं होगा।
4-(ग) मुखपत्र वाचक सदस्यों का प्रकार :-
4-(ग) 1 आजीवन सदस्य :- संविधान के नियम क्र. 1 (ख) और (ग)
में अंतर्भूत किए गए कोई भी कर्मचारी और बंजारा समाज के कोई भी
स्त्री-पुरुष संस्था के मुखपत्र का सदस्यता शुल्क रु. 1500/-
(शब्दों में एक हजार पांच सौ केवल) अदा करके आजीवन सभासद हो सकते
हैं।
4-(ग) 2 वार्षिक सदस्यता :- संविधान के नियम क्र. 1 (ख) और
(ग) में अंतर्भूत किए गए कोई भी कर्मचारी और बंजारा समाज के
स्त्री-पुरुष संस्था के मुखपत्र का सदस्यता शुल्क रुपये 150/-
(शब्दों में एक सौ पचास रुपये केवल) भरके अदा कर के वार्षिक
सदस्यता प्राप्त कर सकते हैं।
5 सदस्यता की वैधता :-
सदस्यता का रद्द होना, संस्था के सभासद की सदस्यता और
पदाधिकारियों का पद निम्नलिखित कारणों द्वारा रद्द होगा। इन
सदस्य द्वारा संस्था को भरे गये सभासद शुल्क, वर्गणी अथवा
देणगी, उन्हें वापस नहीं दी जायेगी।
5-(क) त्याग पत्र देने पर :- संस्था के कोई भी सदस्य
अथवा
पदाधिकारी अपने निजी कारण से लिखित स्वरूप त्याग पत्र प्रदेश
कार्यकारिणी में निर्णय लेकर उस सदस्य की सदस्यता अथवा
पदाधिकार
का पद रद्द किया जायेगा।
5-(ख) मृत, उन्मत या सेवा निवृत होने से :- संस्था
के
सदस्य का
अथवा पदाधिकारी का कोई भी कारण से मृत हुआ, उन्मत हुआ अथवा
सेवा
निवृत्त होने से ऐसे का सदस्यत्व अथवा पदाधिकारियों का पद
रद्द
किया जायेगा।
5-(ग) सजा, दंड अथवा गैर काम करने से
5-(क)-1 संस्था के सभासद को अथवा पदाधिकारी को किसी भी
कारण से
न्यायालय द्वारा सजा अथवा दंड दिया गया तो उस सदस्य की
सदस्यत्व स्वयं आप रद्द हो जायेगा।
5-(ग)-2 संस्था के किसी भी सदस्य ने, अधिकारी
पदाधिकारी
ने
संस्था के लक्ष्यों अथवा उद्देश्यों के विरुद्ध काम किया,
संस्था की बदनामी की, या संस्था के आर्थिक और सामाजिक विकास
में
हानि पहुंचाई। इस तरह का कोई भी गैर कृत्य किया और संस्था के
सामने यह बात आई तो कोई भी सदस्य अथवा पदाधिकारी के विरुद्ध
उस
गैरकृत्य का लिखित प्रमाण देकर जानकारी दी गई तो ऐसे सदस्य
अथवा
पदाधिकारियों का पद रद्द करने की सिफारिश जिला कार्यकारिणी ने
प्रदेश कार्यकारिणी के सामने प्रस्ताव रखा तो प्रदेश
कार्यकारिणी
की बैठक में उचित निर्णय लेकर ऐसे गैरकृत्य करने वाले सदस्य
अथवा
पदाधिकारी के विरुद्ध संविधान के अनुसार छान बीन करके उनका
सदस्यत्व अथवा पद रद्द किया जायेगा और छान बीन करके के बाद,
उन
पर आरोप सिद्ध हुआ तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की
जायेगी।
5-(घ) पदाधिकारी का पद रद्द होना :-
5-(घ)-1 संस्था का कोई भी कार्यकारिणी सदस्य संबंधित
कार्यकारिणी
के लगातार तीन सभाओं में अनुउपस्थित रहा तो ऐसे पदाधिकारियों
के पद
अपने आप रद्द हो जायेगा। मात्र ऐसे पदाधिकारी और सदस्यों को
नियम
क्र. 10 (क) – 1 से 6 अनुसार फिर से चुनकर आना होगा।
5-(घ)-2 जिला और तालुका स्तर के नियम क्र. 8 (घ) और
(च) 1
से 7
अनुसार सभा न बुलाई गई तो संबंधित कार्यकारिणी रद्द करने का
अधिकार
प्रदेश कार्यकारिणी को रहेगा।
6 संस्था के पदाधिकारी व पदाधिकारियों की रचना
:-
6-(क) राष्ट्रीय कार्यकारिणी :- 1. राष्ट्रीय
अध्यक्ष 1
पद (सभी आठ सहसचिव में से तीन सहसचिव
राष्ट्रीय
2. राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष 1 पद मुख्य कार्यालय से संलग्न
रहेंगे, सहसचिव प्रधान कार्यालय,
3. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष 5 पद सहसचिव प्रसिद्धी व संपर्क,
सहसचिव
वित्त व लेखा इस तरह से
4. राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष 1 पद अपना काम करेंगे। वैसे ही बाकी
सहसचिव, सचिव संघटन सचिव
5. राष्ट्रीय महासचिव 1 पद उपाध्यक्ष यह सभी पद देशों के
पांच ही
विभाग में एक से संलग्न।
6. राष्ट्रीय संघटन सचिव 5 पद
7. राष्ट्रीय सचिव 5 पद
8. राष्ट्रीय सहसचिव 8 पद
9. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य 24 पद
कुल 51 सदस्य
6-(ख)- प्रदेश कार्यकारिणी :-
1. प्रदेश अध्यक्ष 1 पद (सभी नऊ सहसचिव में से तीन सहसचिव
प्रदेश
प्रधान
2. प्रदेश कार्याध्यक्ष 1 पद कार्यालय से संलग्न रहेंगे,
सहसचिव
प्रधान कार्यालय,
3. प्रदेश उपाध्यक्ष 3 पद सहसचिव प्रसिद्धी व संपर्क, सहसचिव
वित्त व लेखा इस तरह से
4. प्रदेश कोषाध्यक्ष 1 पद अपना काम करेंगे वैसे ही बाकी
सहसचिव,
सचिव, संघटन सचिव
5. प्रदेश महासचिव 1 पद हर विभागों में एक से संलग्न
रहेंगे)
6. प्रदेश संघटन सचिव 6 पद
7. प्रदेश सचिव 6 पद
8. प्रदेश सहसचिव 9 पद
9. प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य 23 पद
कुल 51 सदस्य
6-(ग) विभागीय कार्यकारिणी :-
1. विभागीय अध्यक्ष 1 पद
2. विभागीय कार्याध्यक्ष 1 पद
3. विभागीय उपाध्यक्ष 2 पद
4. विभागीय कोषाध्यक्ष 1 पद
5. विभागीय सचिव 1 पद
6. विभागीय संघटन सचिव 1 पद
7. विभागीय सह सचिव 1 पद
8. विभागीय प्रसिद्धी प्रमुख 1 पद
कुल - 9 सदस्य
6-(घ) जिला कार्यकारिणी :-
1. जिला अध्यक्ष 1 पद
2. जिला कार्याध्यक्ष 1 पद
3. जिला उपाध्यक्ष 2 पद
4. जिला कोषाध्यक्ष 1 पद
5. जिला सचिव 1 पद
6. जिला सहसचिव 1 पद
7. जिला संघटक 1 पद
8. जिला प्रसिद्धी प्रमुख 1 पद
कुल - 9 सदस्य
6-(च) तालुका कार्यकारिणी :-
1. तालुका अध्यक्ष 1 पद
2. तालुका कार्याध्यक्ष 1 पद
3. तालुका उपाध्यक्ष 2 पद
4. तालुका कोषाध्यक्ष 1 पद
5. तालुका सचिव 1 पद
6. तालुका सहसचिव 1 पद
7. तालुका संघटक 1 पद
8. तालुका प्रसिद्धी प्रमुख 1 पद
कुल - 9 सदस्य
6-(छ) मुखपत्र संपादकीय कार्यकारिणी :-
1. मुख्य संपादक / प्रकाशक 1 पद
2. कार्यकारी संपादक 1 पद
3. सह संपादक / कोषाध्यक्ष 1 पद
4. संपादकीय सदस्य 9 पद
5. कायदेशिर सलाहकार 3 पद
कुल - 15 सदस्य
7-(क) राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेशाध्यक्ष
:-
7-(क)-1 संस्था का कार्यक्रम नियम के अनुसार चलाना संस्था के
हित
संबंधी उचित आदेश देना, संस्था के कामकाज पर नियम रखना,
संस्था
के सदस्य पर अन्याय/अत्याचार हुआ तो उसे न्याय देना।
7-(क)-2 सर्वसाधारण और दूसरी सभी प्रकार की संभावना आयोजन करना
अथवा रद्द करना।
7-(क)-3 संस्था के लक्ष्य और हितों को बाधा पहुंचाने वाले
सदस्य
अथवा पदाधिकारियों को केंद्रीय कार्यकारिणी की सर्व समता दंड
देना,
दंड कम करना अथवा पदच्युत करना। /br>
7-(क)-4 संस्था के सभी अच्छे और बुरे कार्यों की जिम्मेदारी
लेना।
7-(क)-5 प्रमुख पदाधिकारियों की सलाह अथवा सम्मति से
जिला/तालुका
पदाधिकारियों की नियुक्ति करना।
7-(ख) राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष और प्रदेश कार्याध्यक्ष
:-
7-(ख)-1 अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में कार्यकारी अध्यक्ष,
अध्यक्ष
का काम करेगा।
7-(ख)-2 संस्था द्वारा लिए गये सभी निर्णयों को अमल में लाने
का
अधिकार अध्यक्ष को रहेगा।
7-(ख)-3 संस्था के जिला/तालुका शाखा ओपर नियंत्रण, और कार्यों
में
सुशूत्रिकरण रखना।
7-(ग) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश उपाध्यक्ष :-
7-(ग)-1 अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में
उपाध्यक्ष, अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष को सभी कामकाज,
नियम
अनुसार करेगा।
7-(ग)-2 अध्यक्ष अथवा कार्यकारी अध्यक्ष की गैर मौजूगदी में
उपाध्यक्ष को अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष की सभी
जिम्मेदारियां और सभी प्रकार के काम, नियम के अनुसार करना
होगा।
उन सभी कामों का जिम्मेदार वही रहेगा।
7-(घ) राष्ट्रीय महासचिव प्रदेश महासचिव :-
7-(घ)-1 अध्यक्ष कार्याध्यक्ष की सम्मति से केंद्रीय
कार्यकारिणी की सभी प्रकार की सभाओं को आमंत्रित करना,
प्रस्ताव
पास करना ठरावो तथा उसको क्रियान्वित करना।
7-(घ)-2 संस्था की ओर से और अध्यक्ष की सम्मति से पत्र
व्यवहार
करना, जमा खर्च का वार्षिक हिसाब, अंदाजपत्रक तैयार करना और
सभी
प्रकार की जानकारी देना।
7-(घ)-3 संस्था के हित की दृष्टि से केंद्रीय कार्यकारिणी
द्वारा
दिये गए कार्यों को समय-समय पर आत्मीयता से अमल में लाना और
सदस्य अथवा कर्मचारियों के हितों का सभी प्रकार से रक्षण
करना।
7-(घ)-4 संस्था के हित की दृष्टि से केंद्रीय कार्यकारिणी को
सूचना देना, प्रस्ताव सादर करना।
7-(घ)-5 संस्था के प्रधान कार्यालय की देखभाल करना और संस्था
का
कार्य आगे चलाना।
7-(घ)-6 संस्था का मुखपत्र चलाना और मुख्य प्रकाशक के रूप
में
काम देखना।
7-(घ)-7 अध्यक्ष/कार्याध्यक्ष की सम्मति से स्वीकृत सहसचिव
और
मुख्य कार्यालय चलाने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति करना।
7-(घ)-8 अध्यक्ष/कार्याध्यक्ष और कोषाध्यक्ष की सहायता से
बैंक
में संघटन के नाम से खाता खोलकर आर्थिक व्यवहार करना।
7-(घ)-9 संस्था के सभासद स्वीकारना, नामांकन करना तथा
सभासदों की
नामावली तैयार करना।
7-(घ)-10 सभासद अथवा पदाधिकारी इनको संघटन के कार्य के बारे
में
जानकारी देना, मांग के अनुसार गोपनीय कागजपत्र को छोडकर
संबंधित
कागजपत्र दिखाना।
7-(घ)-11 संस्था नामांकित धर्मादाय आयुक्त को संस्था
नामांकन
नोदणी अधिनियम के अनुसार संस्था के जमा, खर्च और तालेबंद के
बारे
में जानकारी देना। संविधान में बदलाव और उनसे संबंधित जानकारी
देना
अनिवार्य होगा।
7-(च) राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष प्रदेश कोषाध्यक्ष :-
7-(च)-1 सभी प्रकार के निधि कार्यकारी मंडल की सम्मति से जमा
करना, सभी प्रकार के हिसाब किताब की रसीद बही लिखकर स्वच्छ
रखना।
7-(च)-2 कार्यकारी मंडल की पूर्व सम्मति से आवश्यक खर्च करना
और
उसका हिसाब देना।
7-(च)-3 संस्था के सभासदों ने अथवा पदाधिकारी ने हिसाब के
बारे
में कोई शंका उपस्थित की, अथवा किसी ने कोई विवाद तो वह
कार्यकारी
मंडल के सामने लाकर उनकी शंकाओं का निराकरण करना।
7-(च)-4 कार्यकारी मंडल की पूर्व परवानगी से हिसाब की सभी
पुस्तकें पदाधिकारिओं अथवा सभासदों को बताना।
7-(च)-5 सभासद शुल्क जमा करना और उसकी रसीद तुरंत देना, ऐसी
किताबें पदाधिकारी अथवा सदस्यों को बताना।
7-(च)-6 कार्यकारी मंडल के पूर्व लेखा परवानगी के अलावा किसी
भी
प्रकार का आर्थिक व्यवहार परस्पर नहीं करेगा। संस्था के
किसी
महत्वपूर्ण कार्य के नाम पर खर्च नहीं करेगा, सिर्फ 500/-
रुपये
(शब्दों में पांच सौ रुपये) खर्च करने की अनुमति संस्था के
अध्यक्ष व सरचिटणीस इनके द्वारा दी जायेगी। रु. 500/- से
ज्यादा
खर्च करने के लिए कार्यकारी मंडल की लिखित पूर्व परवानगी लेना
अनिवार्य होगा और ऊपर दर्शाया गया परस्पर व्यवहार किया तो
उसका
कोषाध्यक्ष पूरी तरह से जिम्मेदार रहेगा उसके विरुद्ध जरूरत
पडने
पर कार्यकारी मंडल कार्यवाही कर सकेगा।
7-(च)-7 किसी भी प्रकार की निधि संस्था अथवा कोषाध्यक्ष की
ओर
जमा किया गया तो वह निधि दान के अंदर संस्था के बैंक खाते में
राशि जमा करना बंधनकारक रहेगा, दो दिन से ज्यादा किसी भी
प्रकार
की निधि अपने पास नहीं रख सकेगा।
7-(च)-8 बैंक खाते से संस्था के कामकाज के लिए राशि निकालने
की
जरूरत पडी तो कार्यकारी मंडल की पूर्व परवानगी लेना अनिवार्य
होगा।
पूर्व परवानगी के अलावा राशि निकाली गई तो वह दंडनीय कार्यवाही
होगी।
7-(च)-9 संस्था का निधि परस्पर पदाधिकारियों को अथवा सभासदों
को
अपने निजी कार्यों के लिए इस्तेमाल करने नहीं की जा सकेगी,
अथवा
परस्पर देनगी, कर्ज व इनाम करके नहीं दी जा सकेगी।
उपरोक्त सभी आर्थिक व्यवहार संस्था के कार्यकारी मंडल की
पूर्व
सम्मति से किये जायेंगे इसके अलावा किए गए गैर व्यवहारों की
जिम्मेदारी कार्यकारी मंडल की नहीं रहेगी।
7-(च)-10 अध्यक्ष/कार्याध्यक्ष और महासचिव इनकी समतीस
संस्था के
नाम से अलग अलग प्रकार के बैंक खाते खोलना और समधित व्यवहार
नियम
अनुसार करना।
7-(च)-11 प्रमुख पदाधिकारियों को संस्था के कामकाज के लिए
लगने
वाले खर्च के लिए अग्रिम धनराशि देना, परंतु पहले दी गई रकम का
हिसाब दिए बिना, दूसरी अग्रिम धनराशि नहीं दी जायेगी।
7-(छ) राष्ट्रीय संघटन और प्रदेश संघटन सचिव :-
7-(छ)-1 अपने संबंधित विभाग में ‘’संस्था‘’ मजबूती करने का
बांध
काम करना, सामाजिक, शैक्षणिक प्रबोधन करना सदस्यों में
बंधुता,
एकता और अखंडता की भावना निर्माण करना संघटनात्मक आधार तैयार
करना।
7-(छ)-2 संस्था में शिस्त और कामकाज के बारे में रूचि, और
उत्साह पैदा करना, नए सक्रिय कार्यक्रमों लॉबी तैयार करना।
7-(छ)-3 तालुका और जिला पदाधिकारियों की सहायता, से संघटन के
सभासद
बढाना, सभासद शुल्क विशेष निधि, दान निधि जमा करना और प्रधान
कार्यालय को भेजना।
7-(छ)-4 तालुका और जिला पदाधिकारी को मार्गदर्शन करना संस्था
के
कामकाज के बारे में जानकारी देना, पदाधिकारियों की सभाएं
आयोजित
करना।
7-(छ)-5 तालुका और जिला पदाधिकारियों की चुनाव कार्य पद्धति की
अमलबजावणी करना।
7-(छ)-6 जिला/तालुका स्तर पर कोई संघटनात्मक विवाद पैदा हुआ
तो
संविधान के अधीन रहकर उसका हल निकालना।
7-(ज) राष्ट्रीय सचिव / प्रदेश सचिव :-
7-(ज)-1 संघटन जुटाने का कार्य करना, और महासचिव तथा संघटन
सचिव को
सहयोग देना।
7-(ज)-2 पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए और शिस्त लाने
के
लिए काम करना।
7-(ज)-3 केंद्रीय कार्यकारिणी में लिए गये निर्णयों की
अमलबजावणी
अपने कार्यक्षेत्र में करना।
7-(झ) सहसचिव (प्रधान कार्यालय) :-
7-(झ)-1 प्रधान कार्यालय के दैनदिन कारोबार में महासचिव की
सहायता
करना।
7-(झ)-2 महासचिव की गैर मौजूदगी में प्रधान कार्यालय का
कारोबार
संभालना।
7-(झ)-3 प्रधान कार्यालय में सभी प्रकार की नोट बही, प्रमुख
परिपत्रक, ठराव की किताबें अच्छी तरह से रखन।
7-(झ)-4 पदाधिकारियों के पते इकट्ठा करना।
7-(झ)-5 संस्था से संबंधित दूसरे प्रकार के सभी कार्यालयीन
कामकाज
संभालना।
7-(ट) महासचिव (वित्त व लेखा) :-
7-(ट)-1 संस्था के आर्थिक कामकाज में कोषाध्यक्ष की सहायता
करना।
7-(ट)-2 कोषाध्यक्ष की गैर मौजूदगी में सभी प्रकार की आर्थिक
जिम्मेदारी संभालना।
7-(ट)-3 आर्थिक व्यवहारों से संबंधित सभी प्रकार की नोट वही,
कागज
पत्र और महत्वपूर्ण दस्तावेज संभालकर रखना ।
7-(ट)-4 तालुका और जिला स्तर के पदाधिकारियों को पावती
पुस्तक
देना, और जमा की गई सभी प्रकार की राशिओं की नोट रखना।
7-(ट)-5 सरधिटणीस गैर मौजूदगी में बैंक खाते से राशि नहीं
निकालने
आयेगी।
7-(ठ) सहसचिव (प्रसिद्धी एवं मुखपत्र) :-
7-(ठ)-1 संस्था के मुखपत्र का प्रधान संपादक के रूप में
देखना।
7-(ठ)-2 संस्था के अध्यक्ष/कार्याध्यक्ष और महासचिव इनकी
आज्ञा
से संस्था का मुखपत्र चलाना।
7-(ठ)-3 समाज प्रबोधन के लिए, समाज के कवि, लेखन, साहित्यकार
और
इतिहासकार, इनकी सहायता लेकर सभाओं का आयोग करना।
7-(ठ)-4 समाज की बोली भाषा पोषाक, रूढी, परंपरा इतिहास और
संस्कृति का यत्न करना, मुखपत्र के माध्यम से उसकी जानकारी
देना।
7-(ठ)-5 सामाजिक त्योहार, उत्सव और शिविरों का आयोजन करना।
7-(ठ)-6 संघटन सचिव की सहायता से मुखपत्र के लिए सामाजिक
साहित्य,
और प्रचार के लिए निधि जमा करना ।
7-(ठ)-7 अध्यक्ष और महासचिव की आज्ञा से संस्था के कामकाज को
प्रसिद्धी देना।
7-(ठ)-8 संस्था के मुखपत्र के बारे में, और उस संबंधित सभी
प्रकार
के पत्र व्यवहार संभालना तथा महत्वपूर्ण कागज पत्र, नोट कर
लिखना।
7-(ठ)-9 मुखपत्र में कोई लेख अथवा विज्ञापन के बारे में विवाद
पैदा
हुआ तो कानूनी कार्यवाही के बारे में प्रकाशक के साथ सहयोग
देना।
7-(ड) विभागीय अध्यक्ष / जिला अध्यक्ष / तालुका
अध्यक्ष
7-(ड)-1 संस्था से संबंधित जिला में सभी कामकाजों पर नियंत्रण
रखना।
7-(ड)-2 सचिव की सहायता से सभा बुलाना उस सभा को संबोधित करना
/
सदस्यों के नाम लेना।
7-(ड)-3 केंद्रीय कार्यकारिणी की सभा में मौजूद रहना, और उस
सभा
में लिए गए निर्णयों की जानकारी तालुका स्तर तक पहुंचाना ।
7-(ड)-4 संबंधित जिलो की संस्थाओं के कार्यों की जानकारी
केंद्रीय
समिति को देना।
7-(ड)-5 सहकोषाध्यक्ष की सहायता से संस्था की सभासद शुल्क,
वर्गणी, दान जमा करके प्रधान कार्यालय को भेजने की व्यवस्था
करना।
7-(ढ) विभागीय सचिव /जिला सचिव /तालुका सचिव :-
7-(ढ)-1 संस्था के संबंधित जिला में से संस्था का प्रशासन
चलाना।
7-(ढ)-2 सभासदों के नाम नोट करके मंजूरी के लिए प्रधान
कार्यालय को
भेजना।
7-(ढ)-3 अध्यक्ष की आज्ञा से सभा का आयोजन करना, और सभा में
मंजूर
किए गए निर्णय प्रधान कार्यालय को भेजना, इसके साथ साथ संस्था
के
कामकाज की जानकारी संस्था सदस्य को देना।
7-(ढ)-4 सभासदों की शिकायतों का निराकरण, अध्यक्ष की सहायता
से
करना।
7-(ढ)-5 संस्था से संबंधित जिला और तालुका पदाधिकारी को
संस्था
के कामकाज के बारे में जानकारी देना, तालुका स्तर के कामकाज
पर
नियंत्रण रखना।
7-(ण) विभागीय कोषाध्यक्ष/ जिला कोषाध्यक्ष / तालुका
कोषाध्यक्ष
7-(ण)-1 सदस्यों की ओर से शुल्क और सभी प्रकार की निधि जमा
करके
प्रधान कार्यालय को भेजना।
7-(ण)-2 जमा किये गए निधि का हिसाब रखना वह नोट बही में लिखना,
सदस्यों की रसीद देना।
7-(ण)-3 संस्था के सदस्यों एवं पदाधिकारियों ने आर्थिक
कामकाज के
बारे में कोई शंका उपस्थित की, अथवा शिकायत की तो कार्यकारी
मंडल
की सहायता से उनकी शंकाओं का निराकरण करना।
7-(ण)-4 आर्थिक व्यवहार के बारे में सभी प्रकार का
उत्तरदायित्व
स्वीकारना।
7-(ण)-5 संस्था के नाम से इकट्ठा किया गया धन, संस्था के काम
के
आलावा दूसरे किसी भी कामकाज के लिए खर्च नहीं करना और इस नियम
को
तोडा गया तो संबंधित पदाधिकारी दंडनीय कानूनी कार्यवाही की
जायेगी।
7-(ण)-6 किये गये खर्च का हिसाब साफ रखना हर साल अप्रैल माह
में
प्रधान कार्यालय को वह हिसाब भेजना।
7-(ण)-7 अध्यक्ष और सचिव की आज्ञा से संबंधित जिला और तालुका
का
आर्थिक व्यवहार देखना।
7-(त) सदस्य सभासद :-
7-(त)-1 सदस्यों को वार्षिक सर्वसाधारण, विशेष सर्वसाधारण सभा
में
उपस्थित रहकर सभी कामकाज में भाग लेना।
7-(त)-2 सदस्य को मतदान करना, मत नोदणी, अपना प्रस्ताव देकर
निर्णय पास करके लेना, और उसकी अमलबजावणी कर लेना संस्था के
हित
की दृष्टि से कार्यकारी मंडल को सहयोग करन, तथा उनके निर्णय को
सहमति देना, और विरोध भी करना कार्यकारी मंडल की ओर से चलाये
गये
कामकाज पर नियंत्रण रखना।
7-(त)-3 संस्था के कामकाज के बारे में कार्यकारिणी के बारे
में,
कोई शंका अथवा शिकायत हुई तो लिखित स्वरूप में अध्यक्ष
महासचिव
को सूचित करना।
7-(त)-4 संस्था की ओर से किये गये निर्धारित शुल्क, निधि,
समय पर
देना।
7-(थ) मुखपत्र संपादक मंडल का कार्य :-
7-(थ)-1 मुखपत्र के प्रधान संपादक और प्रकाशक इन पदाधिकारियों
को
बहुत ही जिम्मेदारी से तथा ईमानदारी से काम करना अनिवार्य
होगा।
7-(थ)-2 संपादकीय मंडल पर तथा प्रकाशन पर राष्ट्रीय
कार्यकारिणी/प्रदेश कार्यकारिणी का नियंत्रण रहेगा इन
कार्यकारिणियों की सहमति से ही मुखपत्र प्रकाशन करना अनिवार्य
रहेगा।
7-(थ)-3 मुखपत्र सहसंपादक कोषाध्यक्ष के रूप में काम करेगा और
जमा
की गई सभी प्रकार की निधि और खर्च की गई राशि का आर्थिक
व्यवहार
देखना पडेगा। वह आर्थिक व्यवहार संस्था के नियम के अनुसार
करना
बंधनकारक होगा।
7-(थ)-4 सभी संपादकीय मंडल तथा सलाहकारों की मुखपत्र प्रकाशन
होने
से पूर्व सहमति लेना आवश्यक होगा।
7-(थ)-5 मुखपत्र का जमा खर्च की जानकारी संस्था के राष्ट्रीय
प्रधान कार्यालय को पेश करना बंधनकारक होगा।
8-(क) राष्ट्रीय अधिवेशन :-
8-(क)-1 राष्ट्रीय अधिवेशन संस्था की सबसे शक्तिपूर्ण और
अंतिम निर्णय लेने वाली सभा है, इस सभा का आयोजन हर दो साल में
किया जायेगा। इस अधिवेशन की अध्यक्षता संघटन के राष्ट्रीय
अध्यक्ष करेंगे।
8-(क)-2 सभी प्रकार के सदस्यों की इस अधिवेशन के सभी कामकाजों
में सम्मिलित होने होते, और आवश्यकता के अनुसार मतदान (Vote)
का पूरा अधिकार रहेगा लेकिन अस्थायी सदस्यों को मतदान का
अधिकार नहीं रहेगा।
8-(क)-3 केंद्रीय कार्यकारिणी द्वारा चलाये गये सभी प्रकार के
कामकाजों पर सभा का नियंत्रण रहेगा।
8-(क)-4 संस्था की वार्षिक लिखाई, तालेबंद, अंदाजपत्रक, ठराव
की जांच करना, मंजूर करना, नामंजूर करना या दुरूस्ती के लिए
सुझाव करना।
8-(क)-5 संस्था के नियम बढाना, परिवर्तन करना या कम करना अथवा
नये नियमों को स्वीकार करना।
8-(क)-6 आवश्यकता के अनुसार पदाधिकारियों का कामकाज बराबर
नहीं रहा तो उसके खिलाफ प्रस्ताव या शिकायत देकर कार्यवाही की
मांग करना।
8-(क)-7 संस्था का राष्ट्रीय अधिवेशन दिसंबर के अंत में या
पूर्व में लेना बंधनकारक होगा।
8-(क)-8 कुछ अपरिहार्य कारणों से 31 दिसंबर तक सभा का आयोजन
करना कठिन रहा तो अगली तारीख तय करने का अधिकार राष्ट्रीय
अध्यक्ष को रहेगा।
8-(क)-9 अध्यक्ष की पूर्व सूचना से समय पर आने वाले विषयों पर
बहस करना और आवश्यकता के अनुसार ठराव पास करना व प्रस्ताव
नामंजूर करना या पेश करना।
8-(क)-10 किसी भी सदस्यों को किसी भी विषयों पर बहस करना है
तो सभा के पूर्व तीन दिन पहले लिखित रूप से प्रधान कार्यालय को
जानकारी देना बंधनकारक होगा।
8-(क)-11 हर दो साल में प्रदेश कार्यकारिणी को अधिवेशन लेने का
अधिकर रहेगा और वह अधिवेशन उपरोक्त कलम क्र. 8 (क) 1 से 10
अनुसार अधिवेशन लेना बंधनकारक होगा।
8-(ख) राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक
8-(ख)-1 वह सभा हर एक 6 महीने में लेना अनिवार्य होगा। कुछ
कारण की वजह से अगर बैठक नहीं बुलाई गई तो कार्यकारिणी को कारण
बताकर उनकी सम्मति लेना आवश्यक होगा।
8-(ख)-2 महत्वपूर्ण विषय पर राष्ट्रीय अध्यक्ष की सम्मति
से महासचिव को खास राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सभा बुलाने का
अधिकार सभा की सूचना सात दिन पहले देना बंधनकारक होगा।
8-(ख)-3 इस सभा के सदस्य संस्था के सभी राष्ट्रीय
कार्यकारिणी सभासद, सभी प्रदेश के अध्यक्ष, सचिव और पदसिद्ध
तथा निम्न कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहेंगे।
8-(ख)-4 इस सभा के पदसिद्ध अध्यक्ष संस्था के राष्ट्रीय
अध्यक्ष रहेंगे।
8-(ख)-5 इस सभा का सूत्र संचालन तथा संघटन के विषय को जानकारी
संस्था के महासचिव देंगे।
8-(ख)-6 इस सभा में कोई भी ठराव एकमत से अथवा बहुमत से दिया
जायेगा और बहुमत से दिया गया कोई भी निर्णय अंतिम और वह निर्णय
सभी को मान्य करना होगा।
8-(ग) प्रदेश कार्यकारिणी बैठक :-
8-(ग)-1 यह बैठक हरएक चार महीने में लेना अनिवार्य होगा कुछ
अपरिहार्य कारण की वजह से अगर बैठक नहीं ली गई तो कार्यकारिणी
को कारण बताकर मंजूरी लेना आवश्यक रहेगा।
8-(ग)-2 महत्वपूर्ण विषय पर प्रदेश अध्यक्ष की सम्मति से
प्रदेश महासचिव को विशेष प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाने का
अधिकार इस बैठक की सूचना 7 दिन पहले देना आवश्यक रहेगा।
8-(ग)-3 इस बैठक के सदस्य संस्था के सभी प्रदेश कार्यकारिणी
सदस्य, विभागीय अध्यक्ष, सचिव, जिला अध्यक्ष और सचिव
इत्यादि रहेंगे।
8-(ग)-4 इस बैठक का पदसिद्ध अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष
रहेंगे।
8-(ग)-5 इस सभा का संचालन और संघटन के बारे में विषय के अनुसार
जानकारी प्रदेश महासचिव देंगे।
8-(ग)-6 इस बैठक में कोई भी ठराव एकमत से अथवा बहुमत से लिया
जाएगा। बहुमत से लिया गया निर्णय अंतिम होकर वही सभी पर लागू
रहेगा।
8-(घ) विभागीय और जिला कार्यकारिणी की सभा
:-
8-(घ)-1 विभागीय और जिला कार्यकारिणी की बैठक तीन महीने में एक
बार बुलाना बंधनकारक रहेगा। विशेष बैठक का आयोजन अध्यक्ष की
सम्मति से विभागीय/जिला सचिव इनको कभी भी लेते
आयेगा।
8-(घ)-2 इस बैठक का पदसिद्ध अध्यक्ष विभागीय/जिला अध्यक्ष
रहेंगे। विषय के अनुसार विभागीय/जिला सचिव बैठक जानकारी देंगे।
8-(घ)-3 इस बैठक में मंजूर किये गये ठराव अथवा निर्णय प्रदेश
कार्यालय को भेजना अनिवार्य रहेगा।
8-(घ)-4 इस बैठक में कोई भी निर्णय एकमत से नहीं हुआ तो बहुमत
से निर्णय लिया जायेगा और वह सभी को लागू रहेगा।
8-(घ)-5 महत्वपूर्ण विषय पर 7 दिन पहले सूचना देकर बैठक
बुलाकर निर्णय लेते आयेगा।
8-(घ)-6 विभागीय कार्यकारिणी बैठक के सदस्य सभी विभागीय
कार्यकारिणी सदस्य और जिला अध्यक्ष तथा सचिव रहेंगे। जिला
कार्यकारिणी बैठक के सदस्य जिला कार्यकारिणी सदस्य और तालुका
अध्यक्ष तथा सचिव रहेंगे।
8-(च) तालुका कार्यकारिणी की बैठक :-
8-(च)-1 तालुका स्तर की सभा हर दो महीनों में एक बार लेना
बंधनकारक रहेगा। विशेष सभा तालुका कार्यकारिणी को समय से कभी
भी बुलायी जा सकती है।
8-(च)-2 सभा के पदसिद्ध अध्यक्ष तालुका अध्यक्ष रहेंगे। सभी
की विषयवार जानकारी तालुका सचिव देंगे।
8-(च)-3 सभी में मंजूर किये गये ठराव अथवा निर्णय प्रधान
कार्यालय को भेजना आवश्यक रहेगा।
8-(च)-4 राज्य स्तर के विषय के बारे में इस सभा को सिफारिश
करने का अधिकार रहेगा।
8-(च)-5 कोई भी महत्वपूर्ण विषय पर सात दिन पहले सूचना देकर
कार्यकारिणी की सभा बुलाकर निर्णय लेना होगा।
8-(च)-6 इस बैठक में कोई भी निर्णय अथवा ठराव एक मत से न हुआ,
तो वह बहुमत से लिया जायेगा और वह निर्णय सभी को मान्य
होगा।
8-(च)-7 तालुका स्तर की सर्व साधारण बैठक हर एक महीने में
लेना अनिवार्य होगी इस बैठक में तालुका स्तर के सभी सभासदों
को आमंत्रित करना बंधन कारक रहेगा।
8-(छ) सर्वसाधारण सभा की सूचना और सदस्य संख्या (कोरम)
:-
8-(छ)-1 किसी भी देश की सूचना सभी सदस्यों को पदाधिकारियों को
सभा की तिथि से पंद्रह दिन पहले देनी पडेगी और वैसी लिखित
सूचना संस्था के कार्यालय के सूचना फलक पर प्रकाशित करना
अनिवार्य होगा।
8-(छ)-2 सभा की गण संख्या (कोरम) :- कोई भी सर्व साधारण सभा
तथा द्विवार्षिक सभा चालू करने के लिए सभासदों को गण संख्या
(कोरम) के कुल सभा सदों के 3/5 इतनी रही तो सभा का कोरम पूर्ण
हुआ ऐसा समझा जायेगा। और वह सर्व साधारण सभा ठहराये गये समय पर
चालू की जा सकेगी। अगर उपरोक्त अनुसार कुल सभासदों के 3/5
इतनी गण संख्या नहीं रही तो सभा, सभा अध्यक्ष ठहराये गये समय
से आधा घंटा आगे बढायेंगे। उस समय तक गण संख्या पूरी नहीं हुई
तो सभा अध्यक्ष उस सभा को निर्धारित किये गए स्थल पर सभा
चालू करने का ऐलान करेंगे। कार्यक्रम पत्रिका के अनुसार सभा का
अगला कामकाज घोषित करेंगे और उस समय गण संख्या की आवश्यकता
अथवा बंधन नहीं रहेगा। इस सभा के लिए लिये गए निर्णय सभी पर
बंधनकारक रहेंगे।
8-(छ)-3 संस्था की कोई भी सभा निर्धारित की गयी काल मर्यादा
में संबंधित पदाधिकारी ने अगर न बुलाई हो तो सर्व साधारण सभा
के 20 प्रतिशत सभासदों को अथवा कार्यकारिणी में के 3/5
सदस्यों ने लिखित रूप में मांग करके संस्था के अध्यक्ष को
संबंधित सभा बुलाने के लिए मजबूर करेंगे उपरोक्त अनुसार
अध्यक्ष ने सभा न बुलाई तो उपरोक्त बताये गये नियम के अनुसार
सभासदों को अथवा पदाधिकारियों को 30 दिन के अंदर ऐसी सभा बुला
सकते हैं।
9 पदाधिकारियों की चुनाव पद्धति :-
9-(क) सर्व साधारण नियम और शर्त (अटी)
9-(क)-1 संस्था के किसी भी चुनाव के लिए नियम क्र. 4 (ख) 1 और
2 में अंतरभुत किये गये सभासद मतदान अथवा चुनाव के लिये पात्र
रहेंगे।
9-(क)-2 संस्था के किसी भी चुनाव के लिये नियम क्र. 4 (ख)
तथा
5 (क), (ख) और (ग) 1 और 2 के अनुसार सभी सदस्य मतदान के लिए
तथा चुनाव के लिए पात्र नहीं रहेंगे।
9-(क)-3 किसी भी चुनाव के लिए चुनाव अधिकारी संबंधित सभा में
सर्व सम्मति से चुने जायेंगे।
9-(क)-4 चुनाव अधिकारियों को चुनाव में संस्था के संविधान के
अधीन रहकर नि:पक्षता से निर्वाचन कार्यकारणा बंधन कारक
रहेगा।
9-(क)-5 निर्वाचन अधिकारियों को संबंधित सभा में से 2 सभासदों
को निर्वाचन के काम के लिए सहायता लेने का अधिकार रहेगा और ऐसे
सहायक सभासद अगर वे मतदाता हैं तो उनको मतदान करने का अधिकार
रहेगा।
9-(क)-6 तालुका स्तर मतदाताओं की सूची चुनाव घोषित करने वाली
कार्यकारिणी की सभा में संबंधित तालुका के पदाधिकारियों को
मंजूर कर लेना अनिवार्य होगा। इस सभा में जाहिर की गयी सूची
में से सभासदों को मत देने का अधिकार रहेगा। मात्र इन सभी
मतदार सभासदों के सभासद शुल्क अथवा दान प्रधान कार्यालय को
जमा करना अनिवार्य रहेगा।
9-(क)-7 संस्था के सभी स्तर के चुनाव राज्य स्तरीय
द्विवार्षिक अधिवेशन के पूर्व लेना बंधनकारक रहेगा।
9-(क)-8 चुनाव गुप्त मतदान पद्धति से अथवा आवाजी मतदान से
लेना बंधनकारक रहेगा।
9-(क)-9 उम्मीदवार को संस्था द्वारा प्रणित पत्रक में सुचक
और अनुमोदक के नाम साथ संबंधित अधिकारी को सौंप देना आवश्यक
रहेगा।
9-(क)-10 किसी भी पदाधिकारी का चुनाव लेना आवश्यक हुआ तो
चुनाव अधिकारी चुनाव के कार्य कार्यक्रम का ऐलान करेंगे और उसी
सभी में चुनाव की प्रक्रिया पूरी करेंगे। उसी सभा में चुनाव की
प्रक्रिया पूरी करके चुनकर आये हुए पदाधिकारियों के नामों का
तुरंत ऐलान करेंगे। तथा संबंधित चुनाव की जानकारी और चुने गये
पदाधिकारियों के नाम संस्था के छापे गये पत्रक्रम संबंधित
अध्यक्ष को तुरंत सौंप देना बंधनकारक रहेगा।
9-(क)-11 तालुका स्तर से चुनकर आये हुए पदाधिकारियों के नाम
चुनाव अधिकारी को लिखित रिपोर्ट संस्था के छापिल पत्र में
प्रदेश प्रधान कार्यालय को तुरंत देना बंधनकारक
रहेगा।
9-(क)-12 संस्था के किसी भी चुनाव में प्रत्यक्ष मौजूद रहकर
किया गया मतदान वैध माना जायेगा।
9-(क)-13 संस्था के किसी भी चुनाव में प्रतिनिधि उम्मीदवारों
को स्वीकार किया जायेगा, लेकिन सुचक और अनुमोदको वहां उपस्थित
रहना बंधनकारक रहेगा।
9-(क)-14 संबंधित विभाग जिला तालुका चुनाव पर जिला सलाहकार
समिति निरीक्षक के रूप में काम देखेगी और प्रधान को अपनी
रिपोर्ट पेश करेगी। राष्ट्रीय प्रदेश पदाधिकारी इनके चुनाव पर
केंद्रीय सलाहकार निरीक्षक के रूप में करेंगे।
9-(क)-15 संस्था के किसी भी चुनाव के उम्मीदवार को चुनाव
अधिकारी करके काम नहीं करते आयेगा।
9-(ख) तालुका पदाधिकारी चुनाव :-
9-(ख)-1 संबंधित तालुका में नौकरी करने वाले मतदान सदस्यों को
चुनाव में भाग लेने का अधिकार रहेगा।
9-(ख)-2 हर एक शासकीय महसुली तथा संस्था द्वारा निश्चित किये
गये तालुका के स्थानों पर संघटन की कार्यकारिणी और में
रहेगी।
9-(ख)-3 इन पदाधिकारियों का चुनाव पदनिहाय पद्धति से किया
जायेगा।
9-(ग) जिला पदाधिकारी चुनाव :-
9-(ग)-1 जिला स्तर के पदाधिकारियों का चुनाव
9-(ग)-2 उम्मीदवार को तालुका स्तर पर संस्था के कार्य का 1
साल काम करने का अनुभव होना चाहिए।
9-(ग)-3 शासन द्वारा, तथा संस्था द्वारा निर्धारित किये
गये।
महसूल जिला में जिला कार्यकारिणी अस्थित्व में
रहेगी।
9-(ग)-4 संबंधित जिला पदाधिकारियों का चुनाव पद निहाय पद्धति
से लिया जायेगा।
9-(घ)-1 शासन की ओर से निर्धारित किये गये महसूल विभाग ने
विभागीय कार्यकारिणी गठित की जायेगी।
9-(ग)-2 विभागीय कार्यकारिणी के चुनाव का अधिकार सभी जिला
पदाधिकारियों से रहेगा।
9-(ग)-3 इन पदाधिकारियों का चुनाव पद निहाय पद्धति से किया
जायेगा।
9-(ग)-4 उम्मीदवार को जिला स्तर पर संस्था के कार्य का 1
साल काम करने का अनुभव रहना आवश्यक रहेगा।
9-(ज) प्रदेश पदाधिकारी चुनाव –
9-(ज)-1 इस चुनाव में सभी प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य तथा
राज्य के सभी विभाग, जिला कार्यकारिणी सदस्यों का अधिकार
रहेगा।
9-(ज)-2 चुनाव की अधिसूचना प्रदेशाध्यक्ष की इजाजत से प्रदेश
महा सचिव निकालेंगे।
9-(ज)-3 उम्मीदवार को संस्था के विभाग तथा जिला स्तर पर 2
साल काम करने का अनुभव रहना अनिवार्य रहेगा।
9-(ज)-4 इच्छुक उम्मीदवारों ने बैठक के पहले सत्र में अपने
नामांकन पत्र भरकर देना बंधन कारक रहेगा।
9-(ज)-5 आये हुए उम्मीदवारों के नामांकन पत्र में से पात्र
उम्मीदवारों के नाम प्रदेश महासचिव के सहयोग से
प्रदेशाध्यक्ष ऐलान करेंगे।
9-(ज)-6 यह चुनाव पदनिहाय पद्धति से किया जायेगा।
9-(ज)-7 इस चुनाव में चुनकर आये हुए पदाधिकारियों के नाम
प्रादेशित अधिवेशन में घोषित किए जायेंगे।
9 झ राष्ट्रीय पदाधिकारी चुनाव :-
9-(झ)-1 इस चुनाव में सभी राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य तथा
सभी प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यों की मतदान का अधिकार
रहेगा।
9-(झ)-2 यह चुनाव राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में किया
जायेगा।
9-(झ)-3 चुनाव की अधिसूचना राष्ट्रीय अध्यक्ष की सम्मति से
प्रदेश महासचिव निकालेंगे।
9-(झ)-4 उम्मीदवार को संस्था के विभाग व जिला स्तर पर 2 साल
काम करने का अनुभव होना आवश्यक रहेगा।
9-(झ)-5 इच्छुक उम्मीदवारों ने सभा के पहले सत्र में अपना
नामांकन पत्र पेश करना बंधनकारक रहेगा।
9-(झ)-6 आये हुए उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों में से पात्र
उम्मीदवारों का नाम प्रदेश महासचिव की सहायता से
प्रदेशाध्यक्ष घोषित करेंगे।
9-(झ)-7 यह चुनाव पक्षनिहाय पद्धति से किया जायेगा।
9-(ट) मुख पत्र संपादक मंडल चुनाव/नियुक्ति
:-
9-(ट)-1 संपादक मंडल के सभी सदस्यों का चुनाव व नियुक्ति
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सभा में एक मत से अथवा बहुमत से
किया जायेगा।
9-(ट)-2 संपादक मंडल के सदस्यों को बदलने का अधिकार
राष्ट्रीय कार्यकारिणी को रहेगा।
9-(च)-3 संपादकीय मंडल का कार्यकाल दो वर्ष का
रहेगा।
10 पदाधिकारियों के रिक्त स्थान भरना तथा उसका कार्यकाल
:-
10-(क)- रिक्त पदों को भरना ।
10-(क)-1 किसी भी पदाधिकारियों की मृत्यु तथा इस्तीफा देने से
संबंधित तालुका/जिला तथा विभाग में से तबादला होने में तथा कोई
अनुशासन का भंग करने से कार्यवाही की जाने से पद रिक्त रहा तो
एक महीने के अंदर वह निर्वाचित अथवा नियुक्ति से भरना बंधन
कारक रहेगा।
10-(क)-2 किसी भी कारण की वजह से कोई पद रिक्त हुआ तो संविधान
के अनुसार निर्वाचन समझा जायेगा।
10-(क)-3 संस्था से घोषित किये गये अथवा चुनाव द्वारा किसी
पदाधिकारी का चुनाव/नियुक्ति न हुई तो वह पद रिक्त समझा
जायेगा।
10-(क)-4 संस्था के तालुका स्तर पर कोई भी पद खाली रहा चुनाव
न हुआ तो नियुक्ति करने का अधिकार जिला कार्यकारिणी को
रहेगा।
10-(क)-5 विभाग तथा जिला स्तर पर कोई भी पद खाली रहा अथवा उस
पद के लिये चुनाव न हुआ तो उस पद की नियुक्ति करने का अधिकार
प्रदेश कार्यकारिणी को रहेगा।
10-(क)-6 राष्ट्रीय व प्रदेश पदाधिकारियों के कोई भी पद
रिक्त रहा तो वह पद चुनाव या नियुक्ति द्वारा भरने का अधिकार
राष्ट्रीय कार्यकारिणी को रहेगा।
10-(ख) पदाधिकारियों का कार्यकाल :-
10-(ख)-1 संस्था के सभी पदाधिकारियों का कार्यकाल दो साल का
रहेगा।
10-(ख)-2 सभी पदाधिकारी चुनकर आने के बाद उनका कार्यकाल
द्विवार्षिक अधिवेशन तक रहेगा।
10-(ख)-3 चुनकर आये हुए सभी पदाधिकारी द्विवार्षिक अधिवेशन में
तथा उसके एक महीने बाद अपने अपने पदों की जिम्मेदारियां संभाल
लेंगे।
10-(ग) अविश्वास ठराव :-
10-(ग)-1 संस्था की भी कार्यकारिणी में कोई भी पदाधिकारी के
खिलाफ अविश्वास का ठराव पेश करने का हुआ तो संबंधित
कार्यकारिणी की सभा, सभासदों के कम के कम 1/3 सभासदों ने वह
ठराव कार्यकारी मंडल की ओर पेश करना आवश्यक रहेगा।
10-(ग)-2 उपरोक्त नियम क्र. 10 – (क) तथा कलम
क्रमांक 1 के
अनुसार अविश्वास ठराव प्राप्त होने के बाद संबंधित अध्यक्ष
ने अपनी कार्यकारिणी की बैठक 10 दिन के अंदर बुलाना अनिवार्य
रहेगा।
10-(ग)-3 इस बैठक में अविश्वास का ठराव बहुमत से पास किया गया
तो इस तारीख से वह पद रिक्त समझा जायेगा।
10-(ग)-4 रिक्त पद संविधान के नियमों के अनुसार दो महीनों के
अंदर भर लिया जायेगा।
10-(घ) अपील :-
10-(घ)-1 सभी प्रकार की शिकायते अथवा अपील ऊपर बताई गई संबंधित
कार्यकारिणी में किया जायेगा।
10-(घ)-2 तालुका, जिला तथा विभाग स्तर के अंतर्गत किया जा
सकेगा।
10-(घ)-3 सभी घटनाओं के बाद (झगडा) तथा मतभेद इस पर निर्णय
लेने को अधिकार सर्वसाधारण सभा के रहेगा तथा लिये निर्णय पर
फेर विचार करने का अथवा परिस्थिति जन्म धोरनात्मक दिशा बताने
का सार्वभोम अधिकार संस्था के संबंधित अधिवेशन में लिया
जायेगा।
11 केंद्रीय सलाहकार समिति का कार्यकाल, कार्य तथा अधिकार
:-
11-(क) केंद्रीय सलाहकार समिति की स्थापना कार्यकाल :
11-(क)-1 केंद्रीय सलाहकार समिति का कार्यकाल दो वर्ष का
रहेगा।
11-(क)-2 इस समिति के सदस्य नियुक्त करने का अधिकार प्रदेश
कार्यकारिणी को रहेगा।
11-(क)-3 इस सलाहकार समिति पर समाज के हर एक जिले के अनुभवी
तथा ज्येष्ठ व्यक्ति, सेवा निवृत्त अधिकारी तथा कर्मचारी
नियुक्ति करते आयेगी
11-(ख) विषयवार उपसमितियों का गठन लिखित अनुसार अलग अलग विषयो
पर प्रबोधन तथा उचित मार्ग दर्शन के लिए विषय उपसमितियों का
गठन किया जायेगा।
11-(ख)-1 सामाजिक तथा सांस्कृतिक प्रबोधन उपसमिति।
11-(ख)-2 शैक्षणिक तथा रोजगार मार्गदर्शन उपसमिति।
11-(ख)-3 समाज संघटन तथा नेतृत्व निर्माण उपसमिति।
11-(ख)-4 आर्थिक तथा शासकीय लाभ उपसमिति।
11-(ख)-5 महिला व बालकल्याण उपसमिति।
11-(ग)-1 सभी उपसमितियों पर समाज के संबंधित क्षेत्रों में से
अनुभवी तथा ज्येष्ठ व्यक्ति रहना आवश्यक होगा।
11-(ग)-2 सलाहकार समिति को उपरोक्त विषय के अनुसार संस्था को
कार्यकाल देने का और उस पर निगरानी रखने का अधिकार रहेगा।
11-(ग)-3 केंद्रीय कार्यकारिणी ने तथा प्रमुख पदाधिकारियों
द्वारा मांगे गये विषयों पर उचित सलाह देने की जिम्मेदारी
समिति पर रहेगी।
11-(ग)-4 अध्यक्ष की सम्मति से तथा सलाहकार समिति की सभी
लेने का अधिकार महासचिव को रहेगा।
11-(ग)-5 केंद्रीय कार्यकारिणी के प्रमुख पदाधिकारियों का
चुनाव में पर्यवेक्षक के रूप में देख रेख करना।
12 जिला स्तरीय सलाहकार समिति, उसकी सभा, कार्यकाल, कार्य
और
अधिकार :-
12-(क) जिला स्तरीय सलाहकार समिति की स्थापना और
कार्यकाल :-
12-(क)-1 इस समिति का कार्यकाल दो वर्ष का रहेगा।
12-(क)-2 इस समिति के सदस्य नियुक्त करने का अधिकार विभागीय
तथा जिला कार्यकारिणी को रहेगा।
12-(क)-3 जिला सलाहकार समिति संबंधित जिला में से कम से कम
पांच (05) और ज्याद से ज्यादा नौ (09) सदस्य नियुक्त किये
जा सकेंगे।
12-(क)-4 नियम क. 11- (क) के अनुसार सलाहकार की नियुक्ति की
जायेगी।
12-(क)-5 इस समिति की बैठक साल में से एक बार लेना बंधनकारक
रहेगा। इस बैठक का आयोजन जिला अध्यक्ष और सलाहकार समिति की
सम्मति से जिला सचिव करेंगे।
12-(क)-6 जिला सलाहकार समिति द्वारा लिये गये निर्णय अथवा
सूचना केंद्रीय सलाहकार समिति को और प्रधान कार्यालय को भेजना
बंधन कारक रहेगा।
12-(क)-7 जिला और तालुका सलाहकार समिति संबंधित जिला और तालुका
पदाधिकारियों के चुनाव में निरीक्षण करके देख रेख ।
13 संस्था की निधि, आय (Income) :-
13-(क) सभासद शुल्क, दान और विशेष निधि
13-(क)-1आजीवन और सर्वसाधारण सदस्यों की ओर से सदस्यता
शुल्क करके प्राप्त किया गया धन।
13-(क)-2 विशेष निधि और दान करके संस्था के सदस्यों द्वारा
प्राप्त किया गया धन।
13-(क)-3 उपरोक्त पोट कलम 1 और 2 के अनुसार संघटन के पास जमा
किया गया धन नियम क. (14 – (क) 1 ते अनुसार विनियोग किया
जायेगा।
13-(ख) इनाम के द्वारा तथा दूसरे माध्यम से मिलने वाली निधि
:-
13-(ख)-1 संस्था को अथवा संस्था के माध्यम से काम करने वाले
किसी भी पदाधिकारी अथवा सदस्यों को इनाम के द्वारा प्राप्त
किया गया धन संस्था की प्रगति के लिये अपनी इच्छा से जमा
करना अथवा दान किया गया धन।
13-(ख)-2 संस्था को सरकार के समाज कल्याण, क्रीडा
सांस्कृतिक तथा शासकीय अधिशासकीय विभागों की ओर से,
सांस्कृतिक कार्यक्रम के द्वारा तथा स्मरणिका प्रकाशित करके
जमा किया गया धन और धर्मदाय व्यक्ति तथा संस्था द्वारा पाया
गया धन इत्यादि सभी प्रकार की आय को संस्था की निधि करके
समझा जायेगा।
13-(ख)-3 उपरोक्त पोट नियम 1 और 2 द्वारा जमा किया गया धन
सिर्फ प्रधान कार्यालय को विनियोग के लिये जमा किया जायेगा।
14-(क) सदस्यों द्वारा जमा किया गया सदस्यता शुल्क और
दान
तथा विशेष निधि के द्वारा जमा की गयी कुल निधियों का
विनियोग
निम्नलिखितानुसार किया जायेगा।
14-(क)-1 तालुका कार्रकारिणी 40 प्रतिशत
14-(क)-2 जिला कार्यकारिणी 30 प्रतिशत
14-(क)-3 विभागीय कार्यकारिणी 10 प्रतिशत
14-(क)-4 राज्य कार्यकारिणी 10 प्रतिशत
14-(ख)-1 राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ओर से जमा किया गया सभासद
प्रवेश शुल्क रु.11/- प्रधान कार्यालय को जमा करना बंधनकारक
रहेगा। तथा आजीवन सभासद और सर्वसाधारण सभासद शुल्क, दान,
ऐच्छिक विशेष धन द्वारा जमा की गयी रकम नियम क. 14 (क) 1 से 4
के अनुसार जमा करना बंधन कारक रहेगा।
14-(ख)-2 तालुका और जिला स्तर की किसी भी प्रकार के संस्था
के काम के लिए लगने वाला अधिक निधि विशेष निधि के रूप में जमा
करने का और खर्च करने का अधिकार तालुका और जिला कार्यकारिणी को
रहेगा।
14-(ख)-3 तालुका और जिला स्तर पर होने वाले सभी जमा खर्चों का
हिसाब हर साल प्रधान कार्यालय को पेश करना बंधन कारक रहेगा।
14-(ख)-4 सदस्यों की ओर से लिए गए किसी भी प्रकार की रकम
(राशि) की रसीद देना संबंधित कार्यकारिणी पर बंधन कारक रहेगा।
14-(ख)-5 किसी भी प्रकार का शुल्क अथवा निधि जमा करने का
अधिकार संबंधित पदाधिकारियों के अधिकृत प्रतिनिधियों को ही
रहेगा।
14-(ख)-6 विज्ञापन के माध्यम से जमा होने वाली पूरी निधि
संस्था के राज्यस्तरीय कामकाज को गति प्राप्त करने के लिए
प्रधान कार्यालय को जमा करना बंधन कारक रहेगा।
14-(ग) उद्दिष्टनिहाय खर्च की तरतूद :-
संस्था की ओर से उपलब्ध होने वाली निधि संस्था के ध्येय
धोरण के अनुसार सामाजिक, सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक और समाज
प्रबोधन के कार्यक्रमों के लिए निम्नलिखित अनुसार खर्च की
जायेगी और उसमें परिवर्तन करने का अधिकार केंद्रीय कार्यकारिणी
को रहेगा।
14-(ग)-1 सामाजिक कार्य के लिए 10 प्रतिशत
14-(ग)-2 सांस्कृतिक कार्य के लिए 10 प्रतिशत
14-(ग)-3 शैक्षणिक कार्य के लिए 10 प्रतिशत
14-(ग)-4 मुखपत्र व समाज प्रबोधन के लिए 20 प्रतिशत
14-(ग)-5 कार्यालयीन कामकाज के लिए 15 प्रतिशत
14-(ग)-6 संघटनात्मक कार्य के लिए 20 प्रतिशत
14-(ग)-7 इमारत और संगणक के लिए 05 प्रतिशत
14-(ग)-8 गंगाजलि 05 प्रतिशत
14-(ग)-9 राखील निधि 05 प्रतिशत
कुल निधि 100 प्रतिशत
14-(घ) स्थायी मालमत्ता खरीदना और बिक्री करने संबंधी
तरतूद
14-(घ)-1 संस्था को समाज प्रबोधन, सभासदों के हितों का रक्षण,
सांस्कृतिक, सामाजिक, शैक्षणिक कार्य करने के लिए और कोई
आवश्यक कारणों के लिए संस्था को आवश्यक वह मालमत्ता खरीदने
का अधिकार रहेगा।
14-(घ)-2 संस्था के किसी भी स्तर पर स्थायी मालमत्ता खरीदने
का अधिकार सिर्फ राष्ट्रीय तथा प्रदेश कार्यकारिणी को
रहेगा।
14-(घ)-3 संस्था के स्थावर मालमत्ता खरीदने के लिए संघटन के
पास नियम के अनुसार जमा किया गया धन का उपयोग किया जायेगा।
14-(घ)-4 संस्था को संस्था के उचित उपयोग के लिए संगणक और
कुछ आवश्यक स्थायी मालमत्ता खरीदने का अधिकार सभी
कार्यकारिणी को रहेगा।
14-(घ)-5 संस्था के लिए स्थायी और अस्थायी मालमत्ता खरीदी
करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा और संस्था की
ओर से प्रकाशित होने वाली स्मरणिका के जाहिरात के माध्यम से
पाई गयी राशि का उपयोग कर सकते हैं।
15 - (क) बैंक खाते और आर्थिक व्यवहार :-
15-(क)-1 संस्था के सभी प्रकार के खते सहकारी तथा
राष्ट्रीयकृत बैंकों में ही खेलना बंधनकारक रहेगा। बैंक खाता
संस्था के नाम से ही खोला जा सकेगा।
15-(क)-2 विशेष कार्यक्रमों के लिए संघटन को बैंक खाता कुछ समय
के लिए खोलने का अधिकार कार्यकारिणी को रहेगा।
15-(क)-3 संस्था के नाम से खाता खोलने का अधिकार संस्था के
राष्ट्रीय, प्रदेश, विभागीय, जिला, तालुका इन संबंधित स्तर
के अध्यक्ष, महासचिव/सचिव और कोषाध्यक्ष इन तीन पदाधिकारियों
को रहेगा और आर्थिक लेने देने करने का अधिकार इन तीन
पदाधिकारियों में से किसी भी दो पदाधिकारियों को रहेगा।
15-(क)-4 राष्ट्रीय कार्यकारिणी के और प्रदेश कार्यकारिणी के
अलग अलग खाते संबंधित प्रधान कार्यालय की जगह खोलने आयेगा और
हर एक विभाग, जिला और तालुका स्तर पर स्वतंत्र खाता खोलना
बंधनकारक रहेगा।
15-(ख) मुखपत्र का बैंक खाते और आर्थिक व्यवहार :-
15-(ख)-1 मुखपत्र का प्रधान संपादक व मुखपत्र का
कोषाध्यक्ष/सहसंपादक के संयुक्त स्वाक्षरी से संस्था के
नाम से खाता खोला जा सकेगा और दोनों की स्वाक्षरी से आर्थिक
व्यवहार किया जायेगा। यह खाता संपादक कार्यालय की जगह खोला
जायेगा।
15-(ख)-2 मुखपत्रका, बैंक खाते संपादक बंजारा समाज कर्मचारी
सेवा संस्था इस नाम से राष्ट्रीयकृत/सहकारी बैंक में खाता
खोलना बंधनकारक रहेगा।
16 नियम और विनियम में तथा संस्था के नाम से उद्देश्य
परिवर्तन करने के बारे में तथा संस्था के नाम में और
उद्देश्य परिवर्तन करने के बारे में
तरतूद।
16-(क)-1 तालुका/जिला समिति को नियम में बदल करने के लिए
प्रस्ताव देने का अधिकार रहेगा।
16-(क)-2 नियम में बदल और नई तरतूदी के बारे में प्रस्ताव
जिला कार्यकारिणी को केंद्रीय कार्यकारिणी के लिए 15 (पंद्रह)
दिन पहले लिखित स्वरूप में भेजना आवश्यक होगा।
16-(क)-3 नियम बढाने के बारे में प्रस्ताव केंद्रीय
कार्यकारिणी की सभा में मंजूर कर लेना बंधनकारक रहेगा।
16-(क)-4 नियमों में बदल और नई तरतूदी के बारे में ठराव मंजूर
करने का अथवा उसे नकार देने का अंतिम अधिकार राज्यस्तरीय
द्विवार्षिक सर्वसाधारण सभा को रहेगा।
16-(क)-5 राज्यस्तरीय सर्वसाधारण सभा में संविधान के नियमों
में बदल और नई तरतूदियों का ठराव सम्मति होने के बाद सहायक
संस्था नोदणी निबंधक इनके कार्यालय की ओर से मंजूर होने के
बाद अमल में आयेगा। संस्था नोदणी अधिनियम 1860 कलम 12 और 12
(अ) के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।
17 विसर्जन :-
संस्था को विसर्जन करने को रहा, तो संस्था पंजीकरण अधिनियम
1260 कलम 13 और 14 के अनुसार कार्यवाही करके विसर्जन किया जा
सकेगा।
18 कर्ज, गहाण, गुंतवणुक, स्थायी मालमत्ता खरेदी बिक्री इसके
लिए धर्मदाय आयुक्त ठाणे से सम्मति लेना पडेगा।
19 सभा की सभी सूचनाएं हस्ते और रजि. पोस्ट से भिजवाई जायेगी
और पहुंच करके स्वाक्षरी ली जायेगी।
20 संस्था का बोध चिन्ह और सफेद झंडा तय करने का अधिकार
रहेगा।
21 संस्था की अधिकृत भाषा हिंदी और अंग्रेजी रहेगी वैसे ही
प्रादेशिक भाषा का उपयोग कर सकते हैं।
भारतीय बंजारा समाज कर्मचारी सेवा संस्था ‘इस संस्था के
नियम
और नियमावली के अनुसार कार्यकारी मंडल पर इस संस्था की
व्यवस्था और कारोबार का उत्तरदायित्व सौंपा गया है, इस
प्रादेशित देश कार्यकारिणी के सभासदों पूरा नाम, पता,
हुद्दा,
आयु, व्यवसाय और राष्ट्रीयत्व निम्नलिखित अनुसार
दर्शाया
गया है।
क्र.सं.
सभासद के नाम
पूरा पता
पद
आयु
व्यवसाय
राष्ट्रीयता
1.
बिल्डिंग 3/सी विंग ए-2/7 न्यू एजठा
अव्हेन्यू पौड रोड. कोथरुड पुणे 29 .
प्रदेश अध्यक्ष
45
नौकरी
भारतीय
2.
श्री. गोविंद जेमला राठोड
शिवदर्शन बंगला, शिवमंदिर रोड, अबरनाथ, जि.
ठाणे (महा.)
प्रदेश कार्याध्यक्ष
42
नौकरी
भारतीय
3.
श्री. ज्योतोराम चव्हाण
24, अंबिका अपार्टमेंट, सुयोदय नगर, मूलुंड
(प.) मुंबई
प्रदेश उपाध्यक्ष
45
नौकरी
भारतीय
4.
श्री. बद्रोप्रसार फ. चव्हाण
11, वनविहंग इमारत, शासकीय निवास, रवि नगर,
नागपुर
प्रदेश उपाध्यक्ष
43
नौकरी
भारतीय
5.
श्री. सुभाष घ. राठोड
¾, मराविम वसाहत, कर्णिक रोड, कल्याण (प.),
जि. ठाणे – 421301
प्रदेश महासचिव
40
नौकरी
भारतीय
6.
श्री. हिरा ग. पवार
7/3, गोमती, अब्दुल गफ्फार रोड, सी-फेस,
वरली, मुंबई
प्रदेश कोषाध्यक्ष
50
नौकरी
भारतीय
7.
श्री. अमर ह. राठोड
राजलक्ष्मी अर्पा महाजनी, प्लॉट जिला, अकोला
संघटन सचिव विदर्भ
40
नौकरी
भारतीय
8.
श्री. मोहन राठोड
4/3, सरकारी निवास स्थान, टि. व्ही
सेंटरजवल, आनंदनगर, उस्मानाबाद
संघटन सचिव मराठवाडा
42
नौकरी
भारतीय
9.
श्री. पी. एस. जाधव
43, शिवशांती बंगला, मंगलमुर्तीनगर, कॅनल रोड,
नासिक रोड, नासिक
संघटन सचिव खान्देश
45
नौकरी
भारतीय
10
श्री. राजाराम गो. जाधव
वाय-6/83, सरकारी वसाहत बांद्रा (पूर्व), जि.
मुंबई-51
संघटन सचिव मुंबई-ठाणे
45
नौकरी
भारतीय
11.
श्री. दगडू.डी. राठोड
ब-8, जवाहरलाल सोसायटी, कुमठा नाका, सोलापुर
संघटन सचिव प. महाराष्ट्र
43
नौकरी
भारतीय
12.
श्री. साईदास भिसू राठोड
अरुणोदय को. हौ. सोसा. मंगलराघोनगर, तिसगांव
रोड, कल्याण (पूर्व) जि. ठाणे – 421306
सचिव मुख्य कार्यालय
4
नौकरी
भारतीय
8.
श्री. वसंत रामदास चव्हाण
डी 523, हिलगार्डन, गुलमोहर सोसा,
टिकुजिनीवाडी समोर, ठाणे (प.)
सचिव मुख्य कार्यालय
35
नौकरी
भारतीय